
ऊर्जा का एक स्तर जिसे तुम जानते हो, वे हैं-भोजन जो तुम करते हो, पानी जो तुम पीते हो, हवा जिसे तुम सांस में लेते हो, सूर्य का प्रकाश जिसे तुम ग्रहण करते हो। तुम्हारे भीतरी तंत्र में जाकर ये चीजें ऊर्जा बन जाती हैं, जो ऊर्जा तुम प्रतिदिन एक खास सीमा तक अनुभव करते हो- अलग-अलग लोगों में इसकी अलग-अलग सीमाएं हैं। इसे देखने का दूसरा तरीका यह है कि जिसे तुम 'जीवन' कहते हो या जिसे तुम 'मैं' कहते हो, वह ऊर्जा है। तुम जितने जीवंत हो, तुम जितने जागृत हो, उतने ही तुम ऊर्जावान होते हो। इसलिए जो भोजन तुम करते हो, जो पानी तुम पीते हो, जो हवा तुम सांस में लेते हो, जो कुछ भी तुम ग्रहण हो, जो कुछ भी भीतरी प्रणाली में जाता है, उसे अपने अंदर सक्रिय और उत्पादक ऊर्जा में बदलने की योग्यता-अलग-अलग लोगों में अलग-अलग होती है।
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क्यों पड़ती हैं चेहरे पर झुर्रियां
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ऊर्जा का रूपांतरण
जिसे तुम 'जीवन' कहते हो या जिसे तुम ‘मैं” कहते हो, वह ऊर्जा है। तुम जितने जीवंत हो, तुम जितने जागृत हो, उतने ही तुम ऊर्जावान होते हो।

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